---------------“सुख-दुख”-------------------
तुम जब दुख से घिर जाओ, समझो सुख आने वाला है
दुख की परिधि बड़ी है परंतु , हर आयाम का अंत होगा,
कुछ भी अमिट नहीं जग मे, सब जाने वाला है,
तुम जब दुख से घिर जाओ, समझो सुख आने वाला है l
दुख कि कल्प बहुत भयानक , सुख स्वप्न सदृश लगे,
दुख मे कोई नहीं साथी , सुख मे सब साथ रहे ,
सुख-दुख के हर पहलू मे, कर्म की बड़ी ही महत्ता है,
इस सत्य को जिसने समझ लिया ,
वह दुख मे धीर ना खोएगा,
वह मानव निर्बल कहलाए, जो फुटफुट कर रोयेगा,
मन मे आत्मविश्वास और धीरज जगे तो समझो,
दुख जाने वाला है
तुम जब दुख से घिर जाओ, समझो सुख आने वाला है।
“अमित शाण्डिल्य”