-------------------किस्मत------------------

हाथों की लकीरों मे मत ढूँढो,
किस्मत के झूठे बातों को ,

भाग्य भरोसे अगर बैठोगे,
मंजिल तक कैसे जाओगे,
मन मे है जो अभिलाषा ,
कैसे उसको तुम पाओगे ,

सत्य से कब तक भागोगे,
क्या क्या देगी किस्मत तुझको,
मत छुपा अपने जजबातों को,
हाथों की लकीरों मे मत ढूँढो,
किस्मत के झूठे बातों को ।

जितना तुम यत्न करोगे,
उतना ही मिलेगा इस जग मे,
मंजिल मे कई रुकावट है,
काँटे मिलेंगे पग पग पे,

नव सोच से रच तुं नई राह,
भूल पुरानी बातों को,
हाथों की लकीरों मे मत ढूँढो,
किस्मत के झूठे बातों को ।

“अमित शाण्डिल्य”

  • お気に入り
  • 愛する
  • ハハ
  • おお
  • 悲しい
  • 怒り