आँखें बंद करूँ तो तुम हो
आँखें खोलूँ भी तो तुम हो
घर के दर्पण में भी तुम हो
मन के दर्पण में भी तुम हो ।
प्रेम प्रासंगिक बात में तुम हो
अमावस वाली रात में तुम हो
ह्रदय विदारक याद में तुम हो
सावन की बरसात में तुम हो
घर के दर्पण में भी तुम हो
मन के दर्पण में भी तुम हो ।
मान में तुम अभिमान में तुम हो
शान में तुम सम्मान में तुम हो
जान में तुम जहान में तुम हो
प्राण में तुम भगवान् में तुम हो
घर के दर्पण में भी तुम हो
मन के दर्पण में भी तुम हो ।
चाहत, राहत, शिकवा, शिकायत
आशा, अभिलाषा , इनायत
मेरे हर जज़्बात में तुम हो
सचमुच हरदम साथ में तुम हो
घर के दर्पण में भी तुम हो
मन के दर्पण में भी तुम हो ।
©®अमित शाण्डिल्य
Babita Singh Rajput
מחק תגובה
האם אתה בטוח שברצונך למחוק את התגובה הזו?
My Festivals
מחק תגובה
האם אתה בטוח שברצונך למחוק את התגובה הזו?
Sanjeev Kumar
מחק תגובה
האם אתה בטוח שברצונך למחוק את התגובה הזו?