ऐसे हुई थी रक्षाबंधन की शुरुआत, माता लक्ष्मी ने बांधी थी बलि को राखी!
श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इसे आमतौर पर भाई-बहनों का पर्व मानते हैं लेकिन, अलग-अलग स्थानों एवं लोक परम्परा के अनुसार अलग-अलग रूप में रक्षाबंधन का पर्व मानते हैं। वैसे इस पर्व का संबंध रक्षा से है। जो भी आपकी रक्षा करने वाला है उसके प्रति आभार दर्शाने के लिए आप उसे रक्षासूत्र बांध सकते हैं।
राखी या रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते की पहचान माना जाता है। राखी का धागा बांध बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का प्रण लेती है। यहां हम आपको रक्षा बंधन का ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व बताने जा रहे हैं।
लक्ष्मीजी ने बांधी थी राजा बलि को राखी
राजा बलि ने यज्ञ संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार जमाने की कोशिश की थी। बलि की तपस्या से घबराए देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। विष्णुजी वामन ब्राम्हण का रूप रखकर राजा बलि से भिक्षा अर्चन के लिए पहुंचे। गुरु शुक्राचार्य के मना करने पर भी बलि अपने संकल्प को नहीं छोड़ा और तीन पग भूमि दान कर दी।
वामन भगवान ने तीन पग में आकाश-पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। बलि भक्ति के बल पर विष्णुजी से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया। इससे लक्ष्मीजी चिंतित हो गईं। नारद के कहने पर लक्ष्मीजी बलि के पास गई और रक्षासूत्र बांधकर उसे अपना भाई बनाया और संकल्प में बलि से विष्णुजी को अपने साथ ले आईं। उसी समय से राखी बांधने का क्रम शुरु हुआ जो आज भी अनवरत जारी है।
रक्षासूत्र बांधकर इंद्राणी ने दिलाई थी विजय
रक्षाबंधन को लेकर दूसरी यह भी मान्यता है कि जब देवों और दानवों के बीच संग्राम हुआ और दानव विजय की ओर अग्रसर थे तो यह देख कर राजा इंद्र बेहद परेशान थे। इंद्र को परेशान देखकर उनकी इंद्राणी ने भगवान की अराधना की। उनकी पूजा से प्रसन्न हो भगवान ने उन्हें मंत्रयुक्त धागा दिया। इस धागे को इंद्राणी ने इंद्र की कलाई पर बांध दिया और इंद्र को विजय मिली। इस धागे को रक्षासूत्र का नाम दिया गया और बाद में यही रक्षा सूत्र रक्षाबंधन हो गया।
द्रौपती ने बांधी थी भगवान कृष्ण को राखी
राखी का एक कथानक महाभारत काल से भी प्रसिद्ध है। भगवान श्रीकृष्ण ने रक्षा सूत्र के विषय में युधिष्ठिर से कहा था कि रक्षाबंधन का त्यौहार अपनी सेना के साथ मनाओ इससे पाण्डवों एवं उनकी सेना की रक्षा होगी। श्रीकृष्ण ने यह भी कहा था कि रक्षा सूत्र में अद्भुत शक्ति होती है।
खून रोकने के लिए बांधा साड़ी का कपड़ा
शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई, तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी थी। यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। भगवान ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था। उसी समय से राखी बांधने का क्रम शुरु हुआ।
वर्ष 2020 में रक्षा बंधन 3 अगस्त, दिन सोमवार को मनाया जायेगा।
आप सभी को रक्षा बंधन की अग्रिम शुभकामनाएँ!!